पेड़ से पत्ते पुराने झड़ रहे हैं
कोंपलों के मुस्कुराने का समय है।
देखिए तो वृक्ष की इस सम्पदा को
जो हरे थे वे सभी पीले पड़े हैं
फिर नई सम्भावनाओं से सहमकर
आज नतमस्तक हुए अनुभव खड़े हैं
नियति की गति में छिपा विध्वंश है तो
नीड़ फिर नूतन बनाने का समय है।
वे स्वत: ही टूटकर अब गिर गए हैं
जिनको आँधी तक कभी न तोड़ पाईं
फूल-फल-पत्ते जो बिछुड़े शाख से तो
शक्ति कोई भी उन्हें न जोड़ पाई
कूकती कोयल मचलकर कह रही है
सृजन के नवगीत गाने का समय है।
पल्लवित-पुष्पित स्वत: फिर पेड़ होगा
फिर इन्हीं सब टहनियों पर फल सजेंगे
फल जो मिट्टी में मिले थे बीज बनकर
रूप वे भी वृक्ष का धारण करेंगे
हर गमन की ओट में फिर आगमन है
मृत्यु से उस पार जाने का समय है
-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
सम्पर्क : 0141-2757575
मोबाइल : 98290-70330
ईमेल : kavidube@gmail.com
कोंपलों के मुस्कुराने का समय है।
देखिए तो वृक्ष की इस सम्पदा को
जो हरे थे वे सभी पीले पड़े हैं
फिर नई सम्भावनाओं से सहमकर
आज नतमस्तक हुए अनुभव खड़े हैं
नियति की गति में छिपा विध्वंश है तो
नीड़ फिर नूतन बनाने का समय है।
वे स्वत: ही टूटकर अब गिर गए हैं
जिनको आँधी तक कभी न तोड़ पाईं
फूल-फल-पत्ते जो बिछुड़े शाख से तो
शक्ति कोई भी उन्हें न जोड़ पाई
कूकती कोयल मचलकर कह रही है
सृजन के नवगीत गाने का समय है।
पल्लवित-पुष्पित स्वत: फिर पेड़ होगा
फिर इन्हीं सब टहनियों पर फल सजेंगे
फल जो मिट्टी में मिले थे बीज बनकर
रूप वे भी वृक्ष का धारण करेंगे
हर गमन की ओट में फिर आगमन है
मृत्यु से उस पार जाने का समय है
-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
सम्पर्क : 0141-2757575
मोबाइल : 98290-70330
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