नेता
घोषणा-पत्र
कितने वादे कर चुके, हो नेताजी आप!रहम करो हम पर जरा, हे नव युग-संताप!
उगल दिया बेमाप, झूठ भी इतना सारा!
लगे सरासर गप्प घोषणा-पत्र तुम्हारा।।
जुगाली
राजनीति में आ गए, जाने कैसे लोग।जैसे-जैसे लोग हैं, वैसे-वैसे रोग।।
मकसद केवल भोग, सत्य की करें जुगाली।
गुस्सा, प्यार, चरित्र, वायदे सारे जाली।।
औकात
कुछ गुण्डे करने लगे, आपस में यह बात।नेताओं के सामने, क्या अपनी औकात।
शातिर इनकी जात, नहीं है फिर भी धब्बा।
राजनीति में रहे कई अपने भी अब्बा।।
कूट
लूट मचाई आपने, डाल-डाल कर फूट।सब पर तो पाबन्दियाँ, चेलों को हर छूट।।
नीति आपकी कूट, नहीं गुण्डों का टोटा।
जो न निभाए साथ उसी के मारो सोटा।।
पुकार
नेता आवत देखकर जनता करे पुकार।इसके काटे का नहीं है कोई उपचार।
कोई भी हथियार हमें अब बचा न पाए।
ये काटे तो साँप तड़प करके मर जाए।।
बूथ-लुटेरा
गुण्डा खड़ा चुनाव में, लिए राइफल हाथ।करे बूथ जो कैप्चर, चले हमारे साथ।।
मानो मेरी बात, हाथ में ले लो सोटा।
जो भी करे विरोध घुमा दो उस पर घोटा।।
-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
मेरी प्रकाशित पुस्तक
'कुर्सी तू बड़भागिनी'
में प्रयुक्त नवछंद- कुण्डल
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