भ्रष्टाचार
आशीर्वाद
सुखी रहो आनन्द में, जीओ बरस हजार।
तुम ऐसे फूलो-फलो, जैसे भ्रष्टाचार।।
है लिहाज बेकार, सूरमा तक पिट जाए।
जो तुम्हें मिटाने बढ़े स्वयं ही वह मिट जाए।।
तुम ऐसे फूलो-फलो, जैसे भ्रष्टाचार।।
है लिहाज बेकार, सूरमा तक पिट जाए।
जो तुम्हें मिटाने बढ़े स्वयं ही वह मिट जाए।।
सड़क
काम बड़े हैं आपके, जनता समझ न पाय।
सड़क बड़ी मजबूत थी, लेगइ पवन उड़ाय।।
कहते सब मुस्काय, ले गए चूहे बिल में।
धरती पर मत खोज सड़क है उस फाइल में।।
सड़क बड़ी मजबूत थी, लेगइ पवन उड़ाय।।
कहते सब मुस्काय, ले गए चूहे बिल में।
धरती पर मत खोज सड़क है उस फाइल में।।
सरकारी निर्माण
पुलिया को मत छेडि़ए, नाजुक याके अंग।
कदम एक जो धर दिया, टूट पड़ेंगे संग।।
बदला-बदला ढंग, यहाँ से जल्दी खिसको।
सरकारी निर्माण दूर से देखो इसको।।
कदम एक जो धर दिया, टूट पड़ेंगे संग।।
बदला-बदला ढंग, यहाँ से जल्दी खिसको।
सरकारी निर्माण दूर से देखो इसको।।
भ्रष्टाचार
आज सुबह कहने लगा, मुझसे भ्रष्टाचार।
नेतागण सब कर चुके, हैं मुझको स्वीकार।।
गफलत में हो यार! लगा देने यों ताने।
किनके बल पर आप चले हो मुझे मिटाने?
-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
मेरी प्रकाशित पुस्तक
'कुर्सी तू बड़भागिनी'
में प्रयुक्त नवछंद- कुण्डल
सम्पर्क : 0141-2757575
मोबाइल : 98290-70330
ईमेल : kavidube@gmail.com
नेतागण सब कर चुके, हैं मुझको स्वीकार।।
गफलत में हो यार! लगा देने यों ताने।
किनके बल पर आप चले हो मुझे मिटाने?
-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
मेरी प्रकाशित पुस्तक
'कुर्सी तू बड़भागिनी'
में प्रयुक्त नवछंद- कुण्डल
सम्पर्क : 0141-2757575
मोबाइल : 98290-70330
ईमेल : kavidube@gmail.com