चुनाव परिणाम
सुन्दरी
जो थी अनिन्द्य सुन्दरी, हारी यों श्रीमान।भारी संख्या में किया, अन्धों ने मतदान।।
मिटे सभी अरमान, काम ना आए फन्दे!
कुछ आँखों से और कई थे अक्ल से अन्धे!!
मतगणना
मतगणना के बीच में, नेता दीना रोय।जनाक्रोश के सामने, टिक पाया ना कोय।।
बोय, वही फल होय, कह रहा रोता-रोता।
मतदाता का मूड भाँपना मुश्किल होता।।
-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
मेरी प्रकाशित पुस्तक
'कुर्सी तू बड़भागिनी'
में प्रयुक्त नवछंद- कुण्डल
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