कमाल
वोटिंग की मशीन में, सचमुच बड़ा कमाल।नीला बटन दबाइये, चिह्न देख तत्काल।।
तोड़ो सबका जाल, बीप बजने पर खिसको।
उसे मिलेगा वोट दिया है तुमने जिसको।।
मतदाता-सूची
छगन पूत है मगन का, रहे समझते आप।मतदाता सूची कहे, लादू इसका बाप।।
पुण्य हुआ या पाप, करो पड़ताल समूची।
बदल दिया है बाप धन्य मतदाता सूची।।
सट्टा
किसकी होगी जीत या, होगी किसकी हार।सट्टे के पट्ठे यहाँ, ताल ठोक तैयार।।
खाकर के भी मार, कहे मीठे को खट्टा।
जैसी चाहे वायु बहा सकता है सट्टा।।
नारी
नारी के जब-जब हुए, हैं तेवर विकराल।नर का उसके सामने, रहा बिगड़ता हाल।।
नहीं गल रही दाल, मुसीबत आई भारी।
वापस ले लो नाम, खड़ी है सम्मुख नारी।।
मूँछ
उलझ गई हर चाल जब, प्रतिद्वंद्वी से जूझ।मूँछ लगा दी दाँव पर, पंडि़तजी को बूझ।।
रहा नहीं कुछ सूझ, करूँ क्या प्यारे भाई!
लिए उस्तरा नित्य स्वप्न में दिखता नाई।।
मिथ्याचारी
आता है जनतंत्र में, ऐसा भी एक मोड़।जोड़-तोड़ अरु फोड़ की, लग जाती है होड़।।
दल-निष्ठा सब छोड़, निकलते छल-बलधारी।
जनता जाती हार जीतते मिथ्याचारी।।
-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
मेरी प्रकाशित पुस्तक
'कुर्सी तू बड़भागिनी'
में प्रयुक्त नवछंद- कुण्डल
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