Saturday, October 10, 2015

कुर्सी तू बड़भागिनी - 22

उत्प्रेरण

नटवरलाल

मेरे प्यारे मित्र ने, किया प्रकट यह भाव।
लड़लो नटवरलाल तुम, अब की बार चुनाव।।
पार गई यदि नाव, तुम्हारा भाग्य खिलेगा।
तुम-सा झाँसेबाज दूसरा कहाँ मिलेगा?

सुझाव

घरवाली के प्रश्न में, शामिल हुआ सुझाव।
आप क्यों नहीं लड़ रहे, अब की बार चुनाव।।
दो मुँछों पर ताव, बहुत चर्चाएँ होंगी।
राजनीति में खूब चलेगा तुम-सा ढोंगी।।

-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
मेरी प्रकाशित पुस्तक
'कुर्सी तू बड़भागिनी'
में प्रयुक्त नवछंद- कुण्डल

सम्पर्क : 0141-2757575
मोबाइल : 98290-70330
ईमेल : kavidube@gmail.com

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