Saturday, October 3, 2015

कुर्सी तू बड़भागिनी - 15

जनसंपर्क

वोटर वंदना

माता-दाता, गुरु, पिता, भ्राता, रिश्तेदार।
पाप-निवारक आप हो इस युग के अवतार।।
सच्चे तारणहार, प्रकट कर सकते गुम को।
हे वोटर भगवान! मनाऊँ कैसे तुम को?

टेंशन

पत्नी माँगे वोट नित, जोड़-जोड़ कर हाथ।
ऐसा देना साथ तुम, जीते मेरा नाथ।।
जनम-जनम का साथ, हँसी कारण समझाते।
यह टेंशन कुछ साल रहे जनता के माथे।।

शामिल बाजा

बरसों से जो निरंकुश, रहे भोगते राज।
झोंपडिय़ों के द्वार पर, वोट माँगते आज।।
नहीं किसी को लाज, बजेगा शामिल बाजा।
मतदाता है यहाँ तंत्र का असली राजा।।

फर्क

राम-राम करने गए, जिनके घर हर साल।
वो खुद चलकर आ गए, लगे पूछने हाल।।
लेकर आए माल, फर्क इतना-सा भाई।
अबकी बार चुनाव संग दीवाली आई।।

-सुरेन्द्र दुबे (जयपुर)
मेरी प्रकाशित पुस्तक
'कुर्सी तू बड़भागिनी'
में प्रयुक्त नवछंद- कुण्डल

सम्पर्क : 0141-2757575
मोबाइल : 98290-70330
ईमेल : kavidube@gmail.com 

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