Thursday, February 11, 2010
प्यार इक कठिन तपस्या
वेलेन्टाइन डे मना, था मैं भी तैयार।
चला प्यार की ओट में, करने नया शिकार॥
देख इक सुन्दर लडकी।
भावना मेरी भडकी॥
मैंने लडकी से कहा, देकरके इक फूल।
आजा मेरी माधुरी, मैं तेरा मकबूल॥
मेरे सपनों की रानी।
बनाएँ प्रेम कहानी॥
ना ना जी उसने कहा, खूब पडेगी मार।
पहलवान की बहिन से, हुआ आपको प्यार॥
अगर ये फूटा भण्डा।
यहीं कर देगा ठण्डा॥
मैंने वापस ले लिया, उससे अपना फूल।
मुझको दिखी अधेड सी, इक महिला अनुकूल॥
फूल दे हृदय टटोला।
प्यार से मैं यों बोला॥
न्योत रहा हूँ मैं तुझे, बन जा मेरी फ्रैण्ड।
तू भी सैकिण्डहैण्ड है, मैं भी सैकिण्डहैण्ड॥
साधना मेरी डोले।
आज तू मेरी हो ले॥
पर मेरी तकदीर में, लिखी हुई थी खोट।
लिपट गई; खिसका लिये, जेब से सारे नोट॥
चोट पैसों की खाई।
तभी घरवाली आई॥
वेलेन्टाइन डे यहाँ, है काँटों का हार।
काम साधकों के लिए, मृगतृष्णा है प्यार॥
प्यार इक कठिन तपस्या।
वासना जटिल समस्या॥
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सुरेन्द्र दुबे
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