एक दिन किसी दोस्त ने मुझ पर यह सलाहात्मक प्रश्न दाग दिया कि तुम किसी न्यूज चैनल पर क्राइम शो की एंकरिंग क्यों नहीं करते? मैंने जवाब दिया कि दोस्त टीवी के प्रोग्राम में तो चॉकलेटी चेहरे वाले लड़के-लड़कियां एंकरिंग करते हैं। दरअसल मेरी शक्ल एंकरिंग के लायक नहीं है। मेरा जवाब सुनते ही वह मेरी अवधारणा का खण्डन करते हुए बोला- "क्राइम शो की एंकरिंग के लिए तो वे छाट-छाट कर बदसूरत वाले चेहरे लाते हैं। तुम तो उसके लिए बिल्कुल फिट हो।" मैं समझ गया कि जिसके ऐसे दोस्त हों उसे दुश्मनों की क्या जरूरत?
खैर, क्राइम शो का एंकर अपनी कर्कश आवाज और भयानक मुख मुद्रा से डरा-डरा कर आपको अपना प्रोग्राम देखने के लिए मजबूर कर देता है। वह बताता है कि क्यों दिया अमुक औरत ने अपने ही पति को जहर? किसलिए किया उसने अपने सगे भाई का कत्ल? किस डकैती के पीछे निकला घर में काम करने वाली नौकरानी का हाथ? आपका समूचा आत्म विश्वास हिला देने के बाद वह बताता है कि ये सब आप के साथ भी हो सकता है।
किसी भी प्रकार टीवी के प्रोग्राम में अपना चेहरा दिखाने की लालसा ने क्राइम शो की एंकरिंग के लिए मुझसे जो स्कि्रप्ट लिखवाई वह इस प्रकार है-
चैन से सोना है तो अब जाग जाओ। बीवी को देखो गुस्से में तो बिस्तर छोड़कर भाग जाओ। खबरें तो सिर्फ बहाना हैं। हमें तो आपको डरा-डरा कर बाहदुर बनाना है।
थानेदार के हाथ से होने वाली पिटाई और बीवी के हाथों से होने वाली धुनाई में सिर्फ एक ही फर्क आता है कि थानेदार को तो फिर भी रहम आ जाता है, बीवी को रहम नहीं आता है। बीवी को अपने शौहर पर रहम की जगह सिर्फ बहम आता है। पेश है इस बारे में अहमदाबाद से हमारे क्राइम रिपोर्टर कुमार झूठा की ये सच्ची रिपोर्ट-
टीवी की स्क्रीन पर हाथ में माइक थामे कुमार झूठा यूं प्रकट होते हैं जैसे कि वे सत्यवादी हरीशचन्द्र के कलयुगी अवतार सिर्फ वे ही हों। वे सिलसिलेवार बताना शुरू करते हैं-
तीस फरवरी का मनहूस दिन था। (यह बात वही जाने कि यह तिथि किस कलेण्डर की शोभा बढ़ाती है) और उसी दिन खेला गया यह खूनी खेल, जिसे देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे (अगर वे पहले से ही खड़े न हों)।
(अब कुमार अपनी बात को आगे बढ़ाता है-) ये हैं अहमदाबाद के भोला भाई। इनकी पत्नी खूंखार बेन ने ऐसी की इनकी धुनाई कि नाक से खून बह रहा है। हमले में बेलनाकार हथियार का जमकर इस्तेमाल हुआ था।
इस बारे में भोला-भाई मूर्च्छित होने की वजह से कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थे लिहाजा हमने खूंखार बेन से ही बात की।
प्रश्न- क्या आप अपने पति को रोजाना पीटती हैं?
उत्तर- रोजना टाइम किसे मिलता है।
प्रश्न- तो आप अपने पति को कब पीटती है?
उत्तर- एक दिन छोड़कर सब दिन पीटती हूँ।
प्रश्न- एक दिन छोड़कर एक दिन किसलिए?
उत्तर- इसलिए कि मारने के बाद पुचकारना भी तो पड़ता है।
प्रश्न- मारती हैं तब पुचकारती क्यों हैं?
उत्तर- पुचकारूँगी नहीं तो ये घर छोड़कर भाग नहीं जाएगा।
फिर पिटने के लिए खुद पड़ौसन का आदमी थोड़े ही आएगा। इस काम के लिए तो खुद का पति ही ठीक रहता है जो अपने आप नियम से आए और पिट ले।
आइये देखते हैं कि इस बारे में प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. भेजा चाटिया का क्या कहना है? (स्क्रीन पर डॉ. भेजा चाटिया प्रकट होकर बताते हैं)
आजकल शादी दो आत्माओं का पवित्र मिलन नहीं बल्कि दो आत्माओं की भयानक भिड़न्त का नाम है। किसी भी बीवी को अपने पति को पीटने का शौक नहीं होता (एडिक्शन) आदत होती है। दरअसल ये तेजी से फैलता हुआ नया रोग है 'प्मोर्सं' -PMORS, जिसका फुल फार्म है- पोस्ट मैरीज ओल्ड रिवेंज सिन्ड्रोम। अभी तक इसका उपचार नहीं खोजा जा सका है, इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखकर सिर्फ अपना बचाव ही किया जा सकता है। जैसे अगर आप टू व्हीलर व्हीकल चलाते हैं तो हैलमेट पहनकर ही घर में घुसें। फिर घर का माहौल देखकर ही हैलमेट उतारें। और अगर आप कार यूज करते हैं तो पहले से ही आऊटिंग का प्रोग्राम बना लें। खुद घर में घुसने की बजाय पत्नी को बाहर बुलाएं। इन छोटी बातों को अपनी आदत बनाकर इस रोग के प्रभावों से बचा जा सकता है।
अभी वक्त है एक ब्रेक का। ब्रेक के बाद क्राइम रिपोर्टर बताने वाला है कि किसी-----------?
Monday, February 22, 2010
क्राइम शो की एंकरिंग
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सुरेन्द्र दुबे
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