प्रेम की पूरी कथा, अलगाव जैसी है ।
यह समूची व्यवस्था बिखराव जैसी है ।।
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक
और उसके पार आगे
मन हो आरूढ प्रतिपल
खूब भागे हम अभागे
दौड़ते ही हम रहे पर बढ न पाए
मार्गदर्शी सूचना तक पढ न पाए
जिन्दगी की यात्रा भटकाव जैसी है
यह समूची व्यवस्था बिखराव जैसी है
जन्म से पहले जगत में
मृत्यु के पश्चात है क्या ?
पूछता हूँ मैं स्वयं से
इस विषय में ज्ञात है क्या ?
ज्ञान कहलातीं अधूरी सूचनाएँ
आज जो बनवा रही हैं योजनाएँ
स्वप्न की दुनिया जुए के दाव जैसी है
यह समूची व्यवस्था बिखराव जैसी है।
यह समूची व्यवस्था बिखराव जैसी है ।।
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक
और उसके पार आगे
मन हो आरूढ प्रतिपल
खूब भागे हम अभागे
दौड़ते ही हम रहे पर बढ न पाए
मार्गदर्शी सूचना तक पढ न पाए
जिन्दगी की यात्रा भटकाव जैसी है
यह समूची व्यवस्था बिखराव जैसी है
जन्म से पहले जगत में
मृत्यु के पश्चात है क्या ?
पूछता हूँ मैं स्वयं से
इस विषय में ज्ञात है क्या ?
ज्ञान कहलातीं अधूरी सूचनाएँ
आज जो बनवा रही हैं योजनाएँ
स्वप्न की दुनिया जुए के दाव जैसी है
यह समूची व्यवस्था बिखराव जैसी है।
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