मेरी जितनी निष्ठा क्रिकेट में है उतनी ही निष्ठा अगर भगवान में रही होती तो मुझे भगवान के दर्शन अवश्य हो जाते लेकिन आज तक मुझे आई.पी.एल. के मैचों में क्रिकेट के दर्शन नहीं हुए। जैसे कवि सम्मेलनों में कविता नाम मात्र की होती है वैसे ही आई.पी.एल. में भी क्रिकेट सिर्फ प्रतीकात्मक ही रहती है। इसलिए मैं कहता रहता हूँ कि स्कूल में पढ़ाई, राजनीति में सिद्धान्त और फिल्म में कहानी तो फिर भी मिल सकती है लेकिन आई.पी.एल. में भी क्रिकेट का मिलना बहुत मुश्किल है।
आई.पी.एल. के बारे में हुए ताजा खुलासे ने सबको बता दिया है कि बेट और बॉल का खेल तो प्रतीकात्मक है। असली खेल तो पैसे का है जिसे फिल्म स्टार, उद्योगपति और राजनेता मिलकर खेल रहे हैं जिसे क्रिकेट के बहाने स्टेडियम में जाइए वहाँ आपको चीयर लीडर्स के ठुमके मिलेंगे, शराब मिलेगी, सट्टा मिलेगा लेकिन क्रिकेट भी दिखाई दे तो बताना।
पहले मैदान में सिर्फ क्रिकेट थी। फिर क्रिकेट के जरिये कारोबार होने लगा। अब कारोबार के जरिये क्रिकेट हो रही है। पहले सिर्फ खेल था। फिर खेल में पैसा आया। अब तो सिर्फ पैसे का ही खेल है। क्रिकेट में काला धन आता है तथा सफेद होकर चला जाता है। क्रिकेट, अब खेल नहीं रहा अपितु धन की धुलाई का धोबीघाट हो गया है।
सरकार जाँच कर रही है कि पैसा कहीं से आ रहा है और कहाँ जा रहा है। सीधी सी बात है। गरीबों की जेब से निकलकर अमीरों की तिजोरी में जा रहा है। पैसा गतिमान है। वह जब अमीरों की तिजोरी से निकलता है तो घूम फिरकर वापस उसी में लौट जाता है लेकिन गरीबों की जेब से एक बार निकला हुआ पैसा वापस नहीं लौटता। पैसे का प्रवाह बहुत तेज होता है। जो भी रास्ते में आता है, वह बह जाता है। अभी पिछले सप्ताह ही एक मंत्री जी की कुर्सी बह गई। एक-दो की और बहने वाली है।
कुल मिलाकर आई.पी.एल. में नफा राजनेताओं, उद्योगपतियों, फिल्म स्टार्स का ही है। नुकसान हम सबका है। आई.पी.एल. की यही कारीगरी है। उसने मुझ जैसे करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का टाइम इक्टठा किया तथा कार्पोरेट जगत् को बल्क में बेच दिया। हमारी समझ में सिर्फ यह आता है कि जो दूसरों का समय इक्टठा करके उसे बल्क में बेच खाता है, वह नि:संदेह खरबपति हो जाता है लेकिन जिसका समय बेचा जाता है उसे कुछ नहीं मिलता है। वह सिर्फ रोता है क्योंकि सारा नफा उसी के नुकसान की कीमत पर होता है।
Saturday, April 24, 2010
आई.पी. एल. का नफा नुकसान
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8 comments:
aajkal samachar patra bhi inhi khabaro se pate pade hai.aapka lekh bhi yatharth ko hi prastut karta hai .bilkul sahi likha hai aapne.
कुल मिलाकर आई.पी.एल. में नफा राजनेताओं, उद्योगपतियों, फिल्म स्टार्स का ही है। नुकसान हम सबका है। आई.पी.एल. की यही कारीगरी है। उसने मुझ जैसे करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का टाइम इक्टठा किया तथा कार्पोरेट जगत् को बल्क में बेच दिया। हमारी समझ में सिर्फ यह आता है कि जो दूसरों का समय इक्टठा करके उसे बल्क में बेच खाता है, वह नि:संदेह खरबपति हो जाता है लेकिन जिसका समय बेचा जाता है उसे कुछ नहीं मिलता है। वह सिर्फ रोता है क्योंकि सारा नफा उसी के नुकसान की कीमत पर होता है
poonam
aajkal sare samachar patr bhi inhi khabaro se pate pade hai.aapke lekh me bhi yatharth hi parilakshhit hota hai.
कुल मिलाकर आई.पी.एल. में नफा राजनेताओं, उद्योगपतियों, फिल्म स्टार्स का ही है। नुकसान हम सबका है। आई.पी.एल. की यही कारीगरी है। उसने मुझ जैसे करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का टाइम इक्टठा किया तथा कार्पोरेट जगत् को बल्क में बेच दिया। हमारी समझ में सिर्फ यह आता है कि जो दूसरों का समय इक्टठा करके उसे बल्क में बेच खाता है, वह नि:संदेह खरबपति हो जाता है लेकिन जिसका समय बेचा जाता है उसे कुछ नहीं मिलता है। वह सिर्फ रोता है क्योंकि सारा नफा उसी के नुकसान की कीमत पर होता है
poonam
सुन्दर कटाक्ष किया है।
waha! bhut khub....
ipl me aapako shilpa milegi ,shahrukh milenge dance milega ,cheergirls milengi ,kissa kotah ye ki cricket ke alava sab kuch milega .aapane yathasthitika bahut sahi chitran kiya hai .
dahej ki lobhyon ko ak achha sandesh .thanks.
kaho na kar ha ak achhi kavita ha .dahej ke lobhyon ko ak achha sandesh ha. thanks.
karmvir g katewa jhunjhunu
Rakesh harijan2018
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