Thursday, April 1, 2010

थैंक्यू एड्स

स्वास्थ्य अधिकारी से
मैंने पूछा-
आप के दफ्तर में
अचानक
खुशी का माहौल
किसलिए?
वह बोला कि भारत में
एड्स की बीमारी
आ गई है इसलिए

मैंने पूछा-
एड्स की वजह से
खुशियाँ कैसे?
वह बोला कि
दरअसल हमारे देश में
जो भी बीमारी आती है
अपने साथ
बजट लाती है

देश में जब चेचक आई
तब हमने
प्लाट खरीदा था भाई
जब टी.बी. आई
तब नीवें भरवाई
मलेरिया ने
दीवारें खड़ी करवाईं
आगे की योजना
टल रही थी
छत नहीं डल रही थी
लगता है
ये मुश्किल भी
टल जायेगी
एड्स आ गई है ना
देख लेना
अब छत भी डल जायेगी

मैंने पूछा-
एक बात बताओ यार!
हमारे देश में
भ्रष्टाचार की महामारी है
या महामारी का भ्रष्टाचार?
वह बोला
पहले रिसर्च का
बजट आने दो

तब पता करके बतायेंगे
क्या करेक्ट है?
भ्रष्टाचार बीमारी है
या किसी बीमारी का
साइड इफेक्ट है?
लोग डर रहे हैं
एड्स की दहशत से
अच्छे-अच्छों के
चरित्र सुधर रहे हैं!

मैंने कहा-
बच नहीं पायेंगे
जब संक्रमण फैलेगा तो
शहर के शहर
खाली हो जायेंगे
वह बोला-
चिल्लाओ मत
एड्स के जरिये तो हम
अपना स्टेटस् बनायेंगे

मैंने पूछा-
एड्स के जरिये स्टेटस्?
वह बोला-
यूँ समझ लीजिये बस
दादाजी
टी.बी. से मरे
तब यह रोग
लाइलाज था
उस जमाने में
बड़े लोगों का
बड़े रोगों से ही
मरने का रिवाज था
उन्होंने राज-रोग पाया
परिवार का
स्टेटस् बनाया
पिताजी ने उसे
मैन्टेन कर दिखाया
वे कैंसर से मरे
अब अपनी
समझ में ही नहीं
आ रहा था
कि हम क्या करें?
मरने की
इतनी महान् परम्परा को
तोड़ कर
क्या सर्दी-जुकाम से मरें?

अगर आप ऐसी-वैसी
बीमारी से मर जाएंगे
तो ऊपर जाकर पूर्वजों को
कैसे मुँह दिखाएँगे
मरने के बाद लोग भी
आपको कुँजड़ा बताएँगे

वरना कहेंगे
क्या आदमी था
क्या खानदान का
नाम रोशन करा
बड़ा खाता-पीता
रईस बन्दा था
मरा भी तो एड्स से मरा

अगर स्टेटस से प्यार है
तो आपके मरने के लिए
एक हाई क्लास बीमारी
तैयार है
किन्तु अगर
जीवित रहना है तो फिर
बचाव ही उपचार है
अगर चाहते हो बेफ्रिकी
तो भले ही मत कराओ
अमुक-अमुक
चीजों की बिक्री
न ये काम में लाओ
न वो काम में लाओ
एड्स से बचना है
तो फिर सब अपने
चरित्र को ऊँचा उठाओ

15 comments:

Amitraghat said...

अरे वाह ! बहुत बढ़िया....."

Unknown said...

Bahut achhe sir bahut maja aaya pad kar

abhishek said...

bahut badiya......maja aa gaya.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हास्य के साथ साथ एक अच्छा सन्देश देती बढ़िया रचना....बधाई

Urmi said...

बहुत बढ़िया, मज़ेदार और शानदार रचना! बधाई!

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

hasya ke darmiyan ek acha sandesh deti rachna......maza aaya

Dr.R.Ramkumar said...

अगर आप ऐसी-वैसी
बीमारी से मर जाएंगे
तो ऊपर जाकर पूर्वजों को
कैसे मुँह दिखाएँगे
मरने के बाद लोग भी
आपको कुँजड़ा बताएँगे

वाह! बहुत सुन्दर रचना ।
व्यंग्य से सच्चाई के मुंह पर पड़ा पर्दा हटा दिया और अंत में नैतिकता का स्कार्फ बांध कर अपना सामाजिक सरोकार निभा दिया ।
कविवर बधाई।

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।

seema gupta said...

बेहद सुन्दर रचना. आपकी शुभकामनाओ का आभार.

regards

श्रवण कुमार उर्मलिया said...

AIDS me chhupi sambhzwnaon ko samne lane ke liye dhanyabad..Bahut sunder kavita hai..meri badhaiyan..

abhi said...

अरे वाह बेहद मजेदार रचना... मजा आया :)

हरकीरत ' हीर' said...

लोग डर रहे हैं
एड्स की दहशत से
अच्छे-अच्छों के
चरित्र सुधर रहे हैं!

बहुत खूब ....!!

जानदार और दिलचस्प .....बहुद बढ़िया लिखा आपने ...!!

यह मंचीय कविता है इतना लम्बा व्यंग लिखना कोई आसान नहीं .....!!

Kuldeep Saini said...

bahut badiya vyang

lal saini said...

damdar h.............

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

बहुत बढ़िया....
मजा आया ||

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