किसी का बर्तन भरा हुआ है
किसी का बर्तन खाली
जग में सबकी नियति निराली ।
भिन्न -भिन्न है नियति सभी की
हम ऐसे समझाएँ
भिन्न-भिन्न हाथों में हैं जैसे
भिन्न -भिन्न रेखाएँ
किसी को झूठी पत्तल मिलती
किसी को सज्जित थाली
जग में सबकी नियति निराली
अपनी नियति भोगते पत्थर
ज्यों सरिता में बहते
कहाँ पे जन्मे ,कहाँ पले हम
आज कहाँ पर रहते !
कहीं अमावस का अँधियारा
और कहीं दीवाली
जग में सबकी नियति निराली
मंच,पटकथा, पात्र, दृश्य हैं
यहाँ सुनिश्चित सारे
अभिनेता, अभिनेत्री, दर्शक
सब अबोध बेचारे
कोई विस्मय से देखे और
किसी ने दृष्टि घुमा ली
जग में सबकी नियति निराली ।
किसी का बर्तन खाली
जग में सबकी नियति निराली ।
भिन्न -भिन्न है नियति सभी की
हम ऐसे समझाएँ
भिन्न-भिन्न हाथों में हैं जैसे
भिन्न -भिन्न रेखाएँ
किसी को झूठी पत्तल मिलती
किसी को सज्जित थाली
जग में सबकी नियति निराली
अपनी नियति भोगते पत्थर
ज्यों सरिता में बहते
कहाँ पे जन्मे ,कहाँ पले हम
आज कहाँ पर रहते !
कहीं अमावस का अँधियारा
और कहीं दीवाली
जग में सबकी नियति निराली
मंच,पटकथा, पात्र, दृश्य हैं
यहाँ सुनिश्चित सारे
अभिनेता, अभिनेत्री, दर्शक
सब अबोध बेचारे
कोई विस्मय से देखे और
किसी ने दृष्टि घुमा ली
जग में सबकी नियति निराली ।
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