पिछले दिनों अपनी बिटिया का मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सुबह ठीक साढे दस बजे कलेक्ट्रेट पहुँचा। दिन भर वहाँ के बाबुओं ने मुझे ऐसा चकरधिन किया कि शाम पाँच बजते-बजते तो मैं खुद अपना मूल निवास भूल गया। समस्या यह खड़ी हो गई कि अपना पता याद रह न रहने पर मैं घर कैसे जाऊँ? मजबूरी में मैंने मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए अप्लाई किया तब जाकर घर लौट सका।
हुआ यों कि सावधानी से भरकर प्रस्तुत किए गए फॉर्म को बाबू ने लापरवाही से रिसीव किया। मैंने निवेदन किया-''देख लीजिए कहीं कोई गलती तो नहीं हो गई है?" मैंने कहा-''मेरा परिवार पीढियों' से यहाँ राजस्थान में रह रहा है। मेरे पिताजी भी यहाँ राज्य सेवा में रहकर रिटायर हुए। बच्ची भी यहीं पैदा हुई है और यहीं इसने अपनी सारी पढाई की है। मेरी समझ से इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं आनी चाहिए।" वह बोला-''प्राब्लम का फैसला तो आपकी समझ से नहीं, हमारी समझ से होगा।"
खैर, फार्म के साथ अटेच्ड सपोर्टिंग डोक्यूमेन्ट को देखते-देखते अचानक उसकी आँखों में चमक आ गई और उसके ओठों पर एक विषैली मुस्कान तैरने लगी। उसने गर्दन उठाई तथा मेरी आँखों में आँखें डालकर कहा-''इन कागजात के आधार पर तो मूल निवास प्रमाण पत्र बनना बहुत मुश्किल है।" उसकी बात सुनते ही मेेरे कान्फीडेन्स की हवा निकल गई। मैंने पूछा- ''क्या प्राब्लम है?" उसने समझाया-''प्राब्लम ये है कि जिस जिले में आप दस साल से ज्यादा रहे हो, उसमें पिछले तीन वर्षों से लगातार नहीं रह रहे हो और इस जिले में आप अढाई साल से रह रहे हो तो यहाँ आप दस साल से नहीं रह हो। सरकारी कर्मचारी के लिए भी नियम, पिछले तीन वर्षों से लगातार इस जिले में रहने का है। हाँ, 6 महीने बाद यह आराम से बन जाएगा।"
मैंने कहा-''यार 6 दिन बाद तो काउन्सलिंग है। मुझे जयपुर जिले का नहीं राजस्थान का मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र दे दो। माँगा भी वही है।" वह बोला-''माँगा तो राजस्थान का जाता है लेकिन नियमानुसार जिले का ही बनाया जाता है। राजस्थान के मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र कहीं भी नहीं बनता। सारे पेच इसी बात में हैं। यहाँ तो सारा काम नियमानुसार ही होता है।" मैंने सोचा यार। क्या गजब का दफ्तर है? सारा काम नियमानुसार ही होता है। नियमानुसार का नियम यह है कि सही काम अटकना जरूर चाहिए, भले ही फर्जी काम आराम से हो जाए।
मेरी बात सुनकर उसे झटका लगा। वह कहने लगा-''अब आप चाहे जो समझिए साहब पर काम तो नियमानुसार ही होगा। हम तो साहब के सामने पुट अप कर देंगे। फिर उनके विवेक पर है वे करें, ना करें। वैसे सरकारी काम में कौनसा अफसर है जो अपना विवेक लगाएगा? सरकारी विवेक तो हम हैं, हमारा विवेक ही काम आएगा।"
उसका सारगर्भित व्याख्यान सुनकर मेरे होश उड़ हो गए। मैंने विनम्र होते हुए कहा-''भले आदमी। कई एग्जाम देने के बाद एक ही काउन्सलिंग में उसका नंबर आया है। यह भी निकल गई तो गजब हो जाएगा। ऐसा करो मुझे साहब से मिलवा दो।" वह बोला-''अभी तो नहीं है। आए तब मिल लेना।" मैंने पूछा-''कब आएँगे।" वह बोला-''इस बारे में हम क्या कह सकते हैं? वो हमारे साहब हैं, हम उनके साहब थोड़े ही हैं। वैसे वो साहब भी क्या है जो हर समय सीट पर बैठा मिल जाए।"
मैं समझ गया कि मेरा काम अटक चुका है। मैंने हँसते हुए कहा-''काम को इस पुराने तरीके से अटकाने में आपको भी क्या मजा आया होगा जब मुझे अटकवाने में ही नहीं आया।" उसने पूछा-''क्या मतलब?" मैंने कहा-''आप लोग काम करने की बजाय काम को अटकवाने के लिए बैठे हैं तो फिर तरीका भी इनोवेटिव होनो चाहिए। इसके लिए आप मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन पत्र का नया परफोरमा बनाइए और उसमें आवेदक से पूछिए 1. नाम 2. पिता का नाम 3. ये कब से आपके पिता हैं। 4. पिछले दस वर्षों में कौन-कौन आपके पिता रहे? 5. पिछले तीन वर्षों से लगातार पिता का नाम? आदि।" मेरी बात सुनकर वह खुद हँसते-हँसते लोटपोट हो गया। हँसते हुए उसने अगले दिन आने की तथा एक और सर्पोटिंग डोक्यूमेन्ट लाने की कारगर सलाह दी।
खैर अगले दिन मुझे मूल निवास प्रमाण पत्र मिल गया लेकिन मैं सोचने लगा कि सतयुग में एक सावित्री हुई थी जो यमराज से अपने पति के प्राण लेकर आ गई थी। उसने एक असम्भव सा काम कर दिखाया था। लेकिन इस कलयुग में उसे अगर यह कहा जाए कि आप कलेक्ट्रेट जाकर अपने बच्चे का मूल निवास प्रमाण पत्र बनवा लाओ तो उसके हाथ-पाँव फूल जाएँगे।
25 comments:
हाल यही है, पर यह भी कि कुल मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए आए आवेदनों में कम से कम एक फर्जी होता है।
बेहतरीन व्यंगात्मक आपबीती....शुरूआत से ही हँसी छूट गई.."
sachai ko rubaru karti aapki vyangatmak kavita ka jvab nahi sir
namashkar dubeji
vahan ek 'dalal window'
bhi hai... samaprk karne par
home delevery ki suvidha uplabdh hai....
bahut achchha vyngay. kheench ke joota maara hai aapne 'vyavastha ' par...
all the best
regards
sir
aapki vyangatmak kavita ka jvab nahi .........
सही कहा है आपने ,यही हाल है।
me aapse sehmat hu. Ye haal har sarkari vibhag me hai. aapke youtube video ke vajah se me ye lekh pura nahi par saka par lagta hai mul nivas parman patra nahi bana
मूल निवासी का या कोई भी प्रमाण पत्र सरकारी दफ्तर से बनवाना वाकेई टेडी खीर है .
EVRYBODY IS CRPT
great job sirji
sir very nice
bhut hi acha likha hain
maine moolniwas banwaya the tb bhi bhut chakkar lge the
bilku main apsay shmat hu kyunki main khud bhukt bhogi hu
bilku main apsay shmat hu kyunki main khud bhukt bhogi hu
mere saath bi ye hi ho raha hai but aap ko mil gya muje nahi mil raha hai???????
यही हाल है।
bilku ji yahe hal hai unki visali muskan se to sach me dr lgta hai.....
hemant kumar s\0 anand kumar
distic mainpuri village tiliyani
Bilkul sahi he sarkari kam hote hi ESE Adami ka adhha vajan kam or dete he....
IDRISH RAZA
SAID
IDRISH RAZA S/O ALLADITA
DISTRICT BIKANER VILLAGE 682 R D
TAH.PUGAM SATET RAJAASTAH
SAHI H
MERE TO 700 RS. LAG GAY
AB YE BATAO MULNIWAS KAISE APPLY KARU
aaj ka sach
180129928369
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