गणित के अध्यापक की
यह परेशानी थी
पिकनिक पर गए छात्रों को
नदी पार करानी थी
सबसे पहले उसने
समस्या को
गणितीय ज्ञान से आंका
फिर नदी की गहराई को
दस विभिन्न जगहों से नापा
दसों जगहों की गहराई का जोड़ लगाया
फिर उसमें दस का भाग दिया
नदी की गहराई का
औसत निकाल लिया
नदी की औसत गहराई
सिर्फ दो फुट आई
तथा कोई भी छात्र
चार फुट से छोटा नहीं था भाई
अध्यापक बोला-बच्चों!
बिल्कुल मत घबराओ
नि:संकोच नदी में उतर जाओ
छात्र नदी में उतरे
तो डूबने लगे
अध्यापक की विद्वता से
ऊबने लगे
हालात ने टोका
तो उसने
बढ़ते हुए छात्रों को रोका
कागज पैन सम्हाला
नदी की गहराई का औसत
दुबारा निकाला
नदी की गहराई का औसत
इस बार भी सिर्फ दो फुट आया
तो अध्यापक का दिमाग चकराया
बनकर के भोला
वह अपने आप से बोला
लेखे-जोखे ज्यों के त्यों
फिर छोरे-छोरी डूबे क्यों?
आप क्या समझे
यह किसी गणित के अध्यापक की
बेवकूफी की निशानी है?
नहीं दोस्त!
यह तो भारत सरकार के
वित्त मंत्रालय की कहानी है।
हमारा वित्त मंत्री
जब बजट बनाता है
तब सिर्फ आंकड़ों के
औसत से काम चलाता है
चूँकि वह समस्या की गहराई को
ठीक से नहीं नाप पाता है
इसलिए हमारी तरक्की का सपना
हर बार डूब जाता है
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29 comments:
अरे! गज्जब सुरेन्द्र जी क्या शानदार कविता लिखी है वाह!वाह! सच में मज़ा आगया... शुक्रिया आपका...."
प्रणव
amitraghat.blogspot.com
bahut khoob surendra ji....!
Dear Dubeji,Isi tarah dur ki kaudiya late rahiye aur sahitya ke aakash par chhate rahiye..ek aur umda rachna ke liye meri badhaiyan..SHRAWAN KUMAR URMALIA
kavi raj dubeji
very good.
its new way no indrodouce kavita
i admire you.
chand kumawat
TIMELESS MAHATMA TRUST
JAIPUR 302006
email timeless mahatma@gmail.com
surendraji dube
namskar
ghano chokho lagya cha
ram ram sa
MERICAR
JAIPUR
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so simple, so deep sir
very good
frome: Hemendra
Your poem is exactly fit our economic condition of Govt. of India . Thanks a lot for sending the same , as requested u at KRISHI BHAWAN jaipur- Rajasthan. Pannalal Agyat CSO
dil ko bha gayi
vah ji vah ...
sarkari aankdo me jo aapne tarkki ki paribhasha samjhayi hai, uske liye hamari taraf se aapko dher sari bhadhai hai,
वाह!! इस बहाने बड़ी गहरी बात कह दी. मर्म पर चोट की है, बधाई.
मज़ा आ गया सर,
खासकर ये पंक्ति ....
लेखे-जोखे ज्यों के त्यों
फिर छोरे-छोरी डूबे क्यों?
पता नहीं ऐसी कितनी छोरे डूबेंगे हमारे सरकारी नियमो के कारन ...........तीखी चोट की है आपने.......
श्री सीमेंट वाला फोटो भी डालो सर ....
गणित के अध्यापक का गणित तो पहले भी पढ़ा था ..पर आपने जो वित्तमंत्रालय और मंत्री से जोड़ा है वो गजब कि बात है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति....कटु सत्य को हास्य में पिरो कर सहजता से लिखना बहुत बड़ी बात है...बधाई
surendra ji namaskar
क्या शानदार कविता लिखी है वाह! मज़ा आगया
गणित के अध्यापक के कंधे पर बन्दूक रखकर ही सही आपने जोरदार व्यंग का सटीक निशाना लगाया है|
बधाई!!!!!!
कृपया यह वार्ड वेरिफिकेसन हटा लें ...तो बहुत मेहरबानी !!
vaah....
man gaye apki parakhi najar or hasya ki vidha ka asar, dono ko
yatish sharma
Bahut Sundar, Time Table parivaar ki oor se aapko dharo shubkamnae......
वाह गज़ब की कविता !
दुबे जी !आंकड़ों की व्यावहारिकता पर ध्यान दिलाने का उत्तम प्रयास .........
हमारी बधाई स्वीकार करें...
नाम देव पाण्डेय
एवं ज्योत्स्ना .........
bahut badhiyaa!!
bahut hi achcha.
kavita bahut hi acchi hai.....
pata nahin yeh chore-chori dubne kab band honge or rajneta anumaan se hatkar kab samasya ka hal dhoondenge...
thank's
Sanjeev mehra
patrika, guna
kaffi achhi kavita hai.............
desh ki sthiti ka bahut sateek vishleshan hai.
Dube ji sir
Aaapki kalam Anna ke anshan or girgit roopi kendra sarkar par kab prahar karegi??????
Yatish Sharma
adbhut kavita hai dube sir
AUSAT KA CHAKKAR SUN KAR MAJA AAGAYA ...plagyat2014@gmail.com
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