सभी चाहते हैं कि देश में राष्ट्रीय एकता आए। राष्ट्रीय एकता तो आई नहीं, एकता कपूर आ गई। उसने अनेक घरतोड़ सीरियल बनाकर एकता के महत्व को उजागर किया। योंकि एकता का महत्व वही जान सकता है जो विभाजित हो जाए।
एक सीरियल आया 'कहानी घर घर की।' मुझे आज तक पता नहीं चला कि ये किस घर की कहानी है जिसमें हर औरत षडयन्त्र करती हुई ही नजर आती है। सास-बहू और पति-पत्नी के सम्बन्धों पर एकदम नई अवधारणाएँ पति-पत्नी और सन्तानों की नई-नई महिमाएँ और वेराइटियाँ दिखाई देती हैं। पत्नी कभी नागिन की तरह फुफकारती है तो कभी शेरनी की तरह दहाड़ती है। पति कभी चूहे की तरह गायब हो जाता है तो कभी अचानक प्रकट होकर कुत्ते की तरह भोंकने लगता है।
कहीं माँ ओरीजनल है तो बाप फर्जी। बाप ओरीजनल है तो माँ फर्जी। खैर जैसी एकता कपूर की मर्जी। उसकी कहानियों में आयातित संतानों का भी प्रावधान है। और तो और तीन-चार बार मरकर भी पुनः जीवित हो जाने का विधान है। जब भी कोई खलनायिका रंगत में आ जाती है तो उसकी बिन्दी मोटी हो जाती है और ब्लाउज का साइज छोटा हो जाता है। वाह! क्या स्टाइल है? लेडीज की पहली पसन्द।
मैंने एकता कपूर के सीरियलों का समाजशास्त्रीय विश्लेषण करने की चेष्टा की तो पाया कि उसकी कहानियों में अनेक प्रकार की पत्नियाँ मौजूद हैं। जैसे- मुख्य पत्नी, उप पत्नी, चुप पत्नी और गुपचुप पत्नी। सहायक पत्नी, लायक पत्नी, नालायक पत्नी और दुखदायक पत्नी। अतिरिक्त पत्नी, सामूहिक पत्नी, अर्द्ध पत्नी व अल्प पत्नी। संकल्पित पत्नी और वैकल्पिक पत्नी। औपचारिक पत्नी, अधिकृत पत्नी व पंजीकृत पत्नी। टणांट पत्नी, खुर्राट पत्नी, तदर्थ पत्नी, समर्थ पत्नी और सशर्त पत्नी आदि।
इसी प्रकार उसकी कहानियों में अनेक प्रकार के पति दिखाई दिए। जैसे- उत्पाती पति, खुरापाती पति और जज्बाती पति। रीजनेबल पति, कम्फरटेबल पति। फोल्डिंग पति, पोर्टेबल पति, वाशेबल और होम वाशेबल पति। मेव्रल पति, स्ट्रेचेबल पति व ऑटोमेटिक पति आदि।
उसकी कहानियों में यह सुविधा भी प्रत्येक पति-पत्नी को प्राप्त है कि एक एपिसोड में वे जिस प्रकार के हैं, अगले एपिसोड में वे अन्य प्रकार के भी हो सकते हैं। इसीलिए पिछले एपिसोड में जो जेठ था वह अगले एपिसोड में बाकायदा पति हो जाए तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।
यों तो अनेक प्रकार के पति-पत्नी एकता कपूर के सीरियलों में दिखाई देंगे लेकिन सात जन्मों तक साथ रहने की कसम खाकर उसे निभाने वाले भारतीय किस्म के पति-पत्नी की एक झलक भी आपको दिख जाए तो मुझे भी बताना।
प्रख्यात हास्य कवि स्व. श्याम जवालामुखी ने मुझे एक मजेदार किस्सा सुनाया। हुआ यों कि एक मगरमच्छ अपने मित्र बन्दर को अपनी पीठ पर बैठाकर समन्दर की सैर करा रहा था। उसने बन्दर से कहा- ''दोस्त आज मेरी शादी की सिल्वर जुबली है। तेरी भाभी यानी मेरी मगरमच्छनी ने पहली बार मुझसे एक चीज माँगी है।'' बन्दर सावधान होते हुए बोला- ''ये कहा होगा कि मुझे बन्दर का दिमाग लाकर दो।'' मगरमच्छ बोला- ''कहा तो यही है लेकिन अब तू यह मत कह देना कि मैं अपना दिमाग तो पेड़ पर ही छोड़कर आ गया हूँ।'' बन्दर बोला- ''दोस्त बात दरअसल ये है कि मुझसे मेरा दिमाग महीने भर के लिए एकता कपूर किराए पर ले गई थी। कल ही महीना पूरा हुआ था। तू पहले बताता तो मैं जाकर ले आता। वह वहीं पड़ा हैं।'' मगरमच्छ कुद्ध होकर बोला- झूठ मत बोल। एकता कपूर के सीरियलों में दिमाग का क्या काम?
Wednesday, March 3, 2010
एकता कपूर का समाज शास्त्र
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